"Hello friends,आज मैं आपको बचपन की यादें ( childhood quotes)ताजा करने जा रहा हूँ, बचपन की मस्ती,बचपन की शैतानियां, बचपन के खेल-खिलौने आदि।जो सभी लोगों ने अपने बचपन में ज्यादातर किया होगा।तो बचपन की यादे ताजा करने के लिये इसे जरूर पढ़ें।"
chilhood quotes |
childhood quotes in hindi
दोस्तों बचपन में ना तो मोबाइल फ़ोन थे , ना तो सोशल मीडिया लोग घर परिवार दोस्तों में समय ब्यतीत करते थे। तो आपकों हम कुछ बचपन की यादे नीचे बता रह है इन्हे जरूर पढ़े और बचपन की यादें ताज़ा करे-
1.Social media or Mobile phones:- दोस्तों बचपन में सोशल मीडिया और मोबाइल फ़ोन नहीं हुआ करते थे ,लोग बहुत मज़े से मिल जुलकर जीवन काटते थे , अब लोगो के जीवन में मोबाइल फ़ोन आ गया तो लोग ज्यादा से ज्यादा समय सोशल मीडिया पर गुजरते है। बचपन में हम लोग परिवार के साथ समय ब्यतीत करते थे। दादा दादी से कहानिया सुनते थे ,अच्छी अच्छी बातें सीखते थे और उनके साथ खेलते थे और जबसे सोशल मीडिया आ गया हम लोग घर परिवार से दूर हो गए है और हमारी जिंदगी में पहले जैसी रौनक नहीं रही।
"ना कुछ पाने की आशा ना कुछ खोने का डर
बस अपनी ही धुन, बस अपने सपनो का घर
काश मिल जाए फिर मुझे वो बचपन का पहर"
2.Fast food :- दोस्तों बचपन में फ़ास्ट फ़ूड नहीं हुआ करते थे हम लोग रोटी चीनी का रोल बनाकर ही खाकर बहुत खुश रहते थे और हमार स्वास्थय भी अच्छा रहता था ,लेकिन आजकल फास्टफूड के आने से ये हमारे जीवन का हिस्सा बन गया बिना फ़ास्ट फ़ूड के हमारा दिन नहीं कटता और फ़ास्ट फ़ूड हमारे सव्स्थ्य के लिए भी बहुत हानिकारक है ,लेकिन आज की पीढ़ी के लिए फास्टफूड बहुत जरूरी हो गया है..
बचपन भी कमाल का था
खेलते खेलते चाहें छत पर सोयें
या ज़मीन पर
आँख बिस्तर पर ही खुलती थी !!
3.Friendship:- दोस्तों हमारे सोशल मीडिया पर तो हज़ारो लाखो दोस्त होंगे लेकिन आज के जमाने हमारे वास्तबिक दोस्त नहीं जो हमारे साथ खेले ,पढ़े और संकट की घड़ी में हमारा साथ दे। सोशल मीडिया पर हज़ारो लाखो दोस्त मात्र एक वहम हैं ,असली दोस्त वही है जो बास्तविक हो जो तुम्हारे काम आये तम उसके काम आओ इसीको मित्रता कहते है। इसलिए जीवन में असली मित्र बनाये जिसके साथ तम अपनी जीवन की समयस्याओ को साझा कर सको।
"काग़ज़ की कश्ती थी पानी का किनारा था,
खेलने की मस्ती थी ये दिल अवारा था।
कहाँ आ गए इस समझदारी के दलदल में,
वो नादान बचपन भी कितना प्यारा था।"
4.Games:- दोस्तों बचपन में तो हम बहुत सारे गेम्स खेलते थे ,जो वास्तविक होते थे हम उनसे ही अपना मनोरंजन करते थे। लेकिन आजकल की दुनिया में हम मोबाइल में घुसे रहते है उनमे ही गेम्स खेलते है ,उनसे ही मनोरंजन करते जो की मानसिकता पर हानिकारक प्रभाव डालती है। बचपनब में हम लोग क्रिकेट ,भाग दौड़ ,स्टोन पेपर सिससर , प्लेइंग कार्ड्स आदि गेम्स खेलते थे जिनसे हम मनोरजन करते थे और इनसे हमलोग पर कोई दुष्प्रभाव भी न पड़ता था ,तो नीचे बचपन के कुछ गेम्स है जिनके बारे में बताने जा रहा हु -
a.Cricket:- दोस्तों बचपन में हम लोग अपने साथियो साथ क्रिकेट बहुत खेलते थे ,और जीवन का आनंद उठाते थे , आजकल के जमाने में लोग दूर रहना ही पसंद करते है जबकि बचपन में हम लोग इक्क्ठा होकर खूब क्रिकेट खेला करते थे।
"सुकून की बात मत कर ऐ दोस्त
बचपन वाला इतवार अब नहीं आता"
b.Pen fighting :- तो दोस्तों बचपन में हम लोग अपने साथियो साथ स्कूल में पेन फाइटिंग गेम बहुत खेला करते थें ,और होने भाई बहनो साथ भी इस गेम्स का मज़ा लेते थे। लेकिन आज के दौर में ें गेम्स की कोई वैल्यू नहीं रह गयी है ,अब लोग मोबाइल ,सोशल मीडिया पर ही समय व्यतीत करते है।
c.Playing cards:-दोस्तों बचपन में आप लोगो ने भी प्लेइंग कार्ड्स खूब खेले होंगे ,आज के दौर को देखते हुए लोग बचपन जब भी यद करते होंगे ें गेम्स को जरूर याद करते होंगे।
d.Stone paper scissor :-दोस्तों बचपन के लोकप्रिय गेम्स में एक गेम ये भी है जिसका नाम स्टोन पेपर सीज़र है इसका भी आप लोगो ने बचपन में खूब लुत्फ़ उठाया होगा।
5.Mother's love :- दोस्तों जिंदगी का और बचपन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा माँ का प्यार होता है ,इससे बढ़कर दुनिया की कोई चीज़ नहीं होती है म.अगर आपको बचपन में माँ का प्यार नहीं मिला तो आप समझो आपने जीवन का सबसे लोकप्रिय हिस्सा खो दिया। माँ का प्यार जीवन को धसरती पर ही स्वर्ग बना देता है। बचपन में माँ का डाटना ,फिर प्यार से मनाना और अपने हाथो से खाना खिलाना , अपनी गोद में सुलाना आदि ये सब हमारी ज़िन्दगी का सबसे अच्छा हिस्सा होता है।
"बचपन में कितने रईस थे हम
ख्वाहिशें थी छोटी-छोटी
बस हंसना और हंसाना
कितना बेपरवाह था वो बचपन"
6.Grouping :- दोस्तों बचपन की यादें कुछ कमाल ही होती है जिन्हे सायद हम कभी भुला नहीं सकते जिंदगी की किसी न किसी मोड़ पे ये हमे यद जरूर आती है। बचपन में हम लोग कभी अकेला नही मह्सूस नहीं करते थे क्युकी हमारे पास इतने दोस्त हुआ करते थे जो हमारे साथ खेलते कूदते नाचते लेकिन आज के जीवन में सोसल मीडिया पर हज़ारो लाखो दोस्त होने के बाद भी इंसान अपनेआप को अकेला ही मेहसूस करता है। क्युकी आज के दौर में बचपन जैसी दोस्ती और ग्रुपिंग अब नहीं बची नाब लोग मतलब की दोस्ती रखते है।
"बचपन में न दोस्ती का मतलब पता था , न मतलब की दोस्ती थी "
7.School & College life :- दोस्तों बचपन में पहली बार स्कूल हर कोई रोकर ही गया होगा ,क्यकि बचपन में कोई स्कुल जाना नहीं चाहता और जब स्कूल कॉलेज का फेयरवेल यानि विदाई स्कूल को छोड़ को जाने टाइम होता है तो हम स्कूल या कॉलेज को छोड़ना नहीं चाहते क्युकी उससे हमारी बहुत यादें जुड़ चुकी होती है।
दोस्तों जब बचपन में पहली बार स्कूल जाते तो नए दोस्त बनाना ,उनसे वाते करना जल्दी ही हम उनमे घुल मिल जाते और उस स्कूल से हमारी यादें जुड़ती चली जाती जिसे फिर हम कभी उस स्कूल को छोड़ना नहीं चाहते उन साथियो को नहीं छोड़ना चाहते। बचपन में हम लोग स्कूल में भी बहुत शैतानिया करते थे जैसे -दुसरो के टिफ़िन से खाना खाना , होम वर्क न करके लाना और टीचर्स से बहाना बनाना ,टीचर्स की `चीड़ बनाना ,पड़ही के टाइम भी खाना खाना ,पानी पीने के बहाने पुरे स्कूल में घूमना आदि ये सब शैतानिया सभी बच्चे अपने बचपन में जरूर करि होगी।
"तभी तो याद है हमे
हर वक़्त बस बचपन का अंदाज
आज भी याद आता है
बचपन का वो खिलखिलाना
दोस्तों से लड़ना, रूठना, मनाना"
दोस्तों जब बचपन में पहली बार स्कूल जाते तो नए दोस्त बनाना ,उनसे वाते करना जल्दी ही हम उनमे घुल मिल जाते और उस स्कूल से हमारी यादें जुड़ती चली जाती जिसे फिर हम कभी उस स्कूल को छोड़ना नहीं चाहते उन साथियो को नहीं छोड़ना चाहते। बचपन में हम लोग स्कूल में भी बहुत शैतानिया करते थे जैसे -दुसरो के टिफ़िन से खाना खाना , होम वर्क न करके लाना और टीचर्स से बहाना बनाना ,टीचर्स की `चीड़ बनाना ,पड़ही के टाइम भी खाना खाना ,पानी पीने के बहाने पुरे स्कूल में घूमना आदि ये सब शैतानिया सभी बच्चे अपने बचपन में जरूर करि होगी।
"अजीब सौदागर है ये वक़्त भी
जवानी का लालच दे के बचपन ले गया"
"दोस्तो उम्मीद करता हु आपको ये काफी पसंद आया होगा कुछ हद तक आपकी बचपन की यादें ताजा हुई होगी,बचपन की यादें पढ़कर अपने बचपन की यादें ताजा करे और इन्हें शेयर करे लाइक करे और कमेंट करे, धन्यबाद।"